नदी बोली समन्दर से, मैं तेरे पास आई हूँ मुझे भी गा मेरे शायर, मैं तेरी ही रुबाई हूँ मुझे ऊँचाइयों का वह अकेलापन नहीं भाया लहर होते हुये भी तो मेरा
ख़ुदा ने क़ुरआन में कहा है कि लोगों मैं ने तुम्हारी ख़ातिर फ़लक बनाया फ़लक को तारों से चाँद सूरज से जगमगाया कि लोगों मैं ने तुम्हारी ख़ातिर ज़मीं बनाई ज़मीं के
More1. स्मृतियों के अवशेष अवचेतन में सोए रहते हैं पुरानी डायरी की सोंधी सुगंध से एकाएक उठ बैठती हैं अल्हड़ जवान स्मृतियां और ठहाके मारकर हंसती हैं जैसे एक बच्चा खिलखिला रहा
More1. प्रेमिकाएं मैं किसी से कैसे प्रेम करूँ? लगभग मेरी सभी प्रेमिकाओं ने मुझे निराश किया है अब तक सूखे मौसम की तरह! आकाश भर प्रेम के बदले दुनिया भर की टूटी
More1. आवरण आँखों का अस्तित्व हर तरह की सत्ता के लिए ख़तरा है इसलिए आये दिन आँखें फोड़ दी जाने की ख़बरें हैं इससे पहले आपकी भी आँखें फोड़ दी जाएँ नज़र
Moreआज पहला सफ़ेद बाल दिखा। कान के पास काले बालों के बीच से झाँकते इस पतले रजत-तार ने सहसा मन को झकझोर दिया। ऐसा लगा, जैसे वसन्त में वनश्री देखता घूम रहा
More1. हमें 'हम' होना चाहिए हम बिछड़कर मर जायेंगे "मैं" और "तुम" में जबकि 'हम' में कितना सामर्थ्य है कि चींटियां अपने देह से भारी मलवा खींच ले जाती हैं 'हम' होकर
More1. रसोईघर माँ के हाथ जब भी मेरे कपड़े पर पड़ते उनमें से आटे, हल्दी और खड़े मसालों की ख़ुशबू आने लगती मैंने उसे तेईस सालों से रसोईघर के आस-पास ही देखा
More1. तुम्हें सौगंध है, मेरे क़ातिल प्रेम करने के लिए नादान होना उतना ही है आवश्यक जितना कि जीवित रहने के लिए उम्मीद का होना। तुम्हारे खंजर से टपकते मेरे लहू की
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