मैं तुझे फिर मिलूँगी

मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं शायद तेरे कल्पनाओं की प्रेरणा बन तेरे केनवास पर उतरुँगी या तेरे केनवास पर एक रहस्यमयी लकीर बन ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी मैं तुझे

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बुरी लड़कियाँ, अच्छी लड़कियाँ

साँप पालने वाली लड़की साँप काटे से मरती है गले में खिलौना आला लगा डॉक्टर बनने का स्वांग करती लड़की ग़लत दवा की चार बूँदें ज़्यादा पीने से चिट्ठियों में धँसी लड़की

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पिता का चश्मा

बुढ़ापे के समय पिता के चश्मे एक-एक कर बेकार होते गए आँख के कई डॉक्टरों को दिखाया विशेषज्ञों के पास गए अन्त में सबने कहा — आपकी आँखों का अब कोई इलाज

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तीसरा रास्ता

मगध में शोर है कि मगध में शासक नहीं रहे जो थे वे मदिरा, प्रमाद और आलस्य के कारण इस लायक नहीं रहे कि उन्हें हम मगध का शासक कह सकें लगभग

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उसने मेरे बेगानेपन को ही

उसने मेरे बेगानेपन को ही छेड़ दिया घनी उमस में कभी न उसने पंखा हाँका है लसिया गए भात को देसी घी से छौंका है दूध मुँहे पाड़े को माँ से दूर

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कुंठा

मेरी कुंठा रेशम के कीड़ों-सी ताने-बाने बुनती, तड़प तड़पकर बाहर आने को सिर धुनती, स्वर से शब्दों से भावों से औ’ वीणा से कहती-सुनती, गर्भवती है मेरी कुंठा – कुँवारी कुंती! बाहर

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तुम्हारा भगवान

तुम्हारे मान लेने से पत्थर भगवान हो जाता है, लेकिन तुम्हारे मान लेने से पत्थर पैसा नहीं हो जाता। तुम्हारा भगवान पत्ते की गाय है, जिससे तुम खेल तो सकते हो, लेकिन

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