कुछ आवाज़ें मलहम होती हैं

तुम्हारी आवाज़ की उँगली पकड़े मैं करती हूँ यात्रा अधैर्य से धैर्य की आक्रोश से प्रेम की उद्वेग से शांति की विषम से सम की तुम्हारी आवाज़ के आरोह-अवरोह में समा जाते

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