जलते हुए मकान में कुछ लोग

इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं। वह मकान वेश्यागृह ही था। मन्दिर नहीं था। धर्मशाला भी नहीं। शमशाद ने कहा था – तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी। सोने के लिए

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