आषाढ़

यह आषाढ़ जो तुमने मां के साथ रोपा था हमारे खेतों में घुटनों तक उठ गया है अगले इतवार तक फूल फूलेंगे कार्तिक पकेगा हमारा हँसिया झुकने से पहले हर पौधा तुम्हारी

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