ट्यूशन में बैठे -बैठे आशिमा की कमर में दर्द होने लगता है, वो जब अपने कमर को सीधा करती है और एक सांस भरती है तो उसका वक्ष थोड़ा फूल जाता है।
1. प्रेम में डूबी हुई औरतें कई बार लांघती हैं घर की चौखट को अपनी चिट्ठियों से अपने अधूरे प्रेम से अनसुने संवाद से अनकहे वायदों से उन गाए हुए गीतों में
More1) किक्की के लिए तुम्हें बढ़ते हुए देखने से ज़्यादा सुखद मेरे लिए और कुछ नहीं परन्तु तुम ऐसे वक़्त में बड़ी हो रही हो मेरी बच्ची जब मानवता की हांफनी छूटी
Moreउस शाम के मुहाने पे उस शब के सिरहाने से वादियों के ख़ामोशी में पेड़ों के सरसराहट से सरकती हुई तुम्हारी मुस्कुराहट बोलों के बीच तुम्हारी मीठी सी सांस की आवाज़ जावेदां
More1. प्रेम लिपि तुम्हारी दैहिक शुचिता को दैविकता मानकर; क्षण-क्षण ठगा जाना, स्वीकार किया मैंने! मैं हारती चली गई ; तुम जीतते गए हर बार! सर्वस्व अर्पण, समर्पण; मेरे प्रेम की लिपि
Moreट्यूशन में बैठे -बैठे आशिमा की कमर में दर्द होने लगता है, वो जब अपने कमर को सीधा करती है और एक सांस भरती है तो उसका वक्ष थोड़ा फूल जाता है।
More1. उम्मीद की उपज उठो वत्स! भोर से ही जिंदगी का बोझ ढोना किसान होने की पहली शर्त है धान उगा प्राण उगा मुस्कान उगी पहचान उगी और उग रही उम्मीद की
More1. झाझ और प्रेमिका मन के भीतर आती गयी तुम, जैसे आता है गोंद पेड़ों पर, प्रेम भर जाये तो बरस पड़ता है, शरीर के तनों पर! … तुम आयी! आकाश सकुचाया,
More1. किसने तय किया किसी कविता का कविता होना ताल लय छंद से परे किसी के रोने में सौन्दर्य किसी के हंसने में संगीत किसने तय किया ये पहाड़ है, ये नदी
More1. दुःख ढंगरता है सुख के ऊपर से किसी रोड रोलर की तरह, और कुछ समय सपाट सड़क की तरह ठहर जाता है सब कुछ ज्यों का त्यों कितनी हलचल कितना शोर
More1. प्रेम परिवर्तन ला देता है उद्दंडता को दुख से भर देता है और फिर गाँव के सबसे बदतमीज लड़के बिल्कुल शांत हो जाते हैं विश्व भर में शांति के लिए प्रेम
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