तस्वीर, इश्क़ की खुटियाँ और जनेऊ

वे तीन वेश्याएँ थीं। वे अपना नाम और शिनाख्त़ छुपाना नहीं चाहती थीं। वैसे भी उनके पास छुपाने को कुछ था नहीं। वे वेश्याएँ लगती भी नहीं थीं। उनके उठने-बैठने और बात

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एक तवाइफ़ का ख़त

मुझे उम्मीद है कि इससे पहले आपको किसी तवाइफ़ का ख़त न मिला होगा। ये भी उम्मीद करती हूँ कि कि आज तक आपने मेरी और इस क़ुमाश की दूसरी औरतों की

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डॉक्टर के शब्द

डॉ. रमन के पास मरीज बीमारी के आखिरी दिनों में ही आते थे। वे अक्सर चिल्लाते, ‘तुम एक दिन पहले क्यों नहीं आ सकते थे?’ इसका कारण भी साफ था – डॉक्टर

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पहेली

रामदयाल पूरा बहुरूपिया था। भेस और आवाज बदलने में उसे कमाल हासिल था। कॉलेज मे पढ़ता था तो वहाँ उसके अभिनय की धूम मची रहती थी; अब सिनेमा की दुनिया में आ

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पितृ हत्या

खिड़की के कांच पर हल्की खटखटाहट ― ― कौन? ― चौकीदार, साहिब। अन्दर से माँ ने झाँका ― ― क्या बात है चौकीदार, आज इतनी जल्दी? ― खिड़की-दरवाजे बंद कर लीजिए। मेहमानों

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नया गणित

चुनाव से चंद महीने पहले मंत्री महोदय अपने चुनाव क्षेत्र में इस तरह आये जैसे मस्त और घबराया भैंसा लगातार खेदे जाने के बाद बाड़े में घुसता है, यानी बाड़े में तूफान

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देवधर की स्मृतियाँ

डॉक्टरों के आदेशानुसार दवा के बदलाव के लिए देवधर को जाना पड़ा। चलते वक्त कविगुरु की एक कविता बार-बार स्मरण होने लगी – “औषुधे डाक्टरे व्याधिर चेये आधि हल बड़ करले जखन

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वरना हम भी आदमी थे काम के

लोग मुझे कवि कहते हैं, और गलती करते हैं; मैं अपने को कवि समझता था और गलती करता था। मुझे अपनी गलती मालूम हुई मियाँ राहत से मिलकर, और लोगों को उनकी

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एक बात और

मैक्सीन — एल.डी की पत्नी — जब काम से घर लौटी तो उसने पाया एल.डी किचन टेबल पर अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी रे से बहस कर रहा है. बहस करते हुए वह

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एक थी गौरा

लंबे कद और डबलंग चेहरे वाले चाचा रामशरण के लाख विरोध के बावजूद आशू का विवाह वहीं हुआ। उन्होंने तो बहुत पहले ही ऐलान कर दिया था कि ‘लड़की बड़ी बेहया है।’

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