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गोरख पाण्डेय
गोरख पाण्डेय ( 1945 - 1989 ) हिंदी में प्रगतिशील कविता के प्रमुख हस्ताक्षर हैं. आपको आपकी प्रमुख कृतियाँ स्वर्ग से बिदाई, समय का पहिया, लोहा गरम हो गया है के लिए याद किया जाता है.
कितना ख़याल रखा है मैंने अपनी देह का सजती-सँवरती हूँ कहीं मोटी न हो जाऊँ खाती
मेरे बालों में रूसियाँ थीं तब भी उसने मुझे प्यार किया मेरी काँखों से आ रही
हमारी रीढ़ मुड़ चुकी है “मैं” के बोझ से खड़े होने की कोशिश में औंधे मुंह
यह पहली दफ़ा नहीं है कि जब किसी ‘सलमान‘ ने मुझे मायूस किया है। सऊदी के
1949 में जब भारत ने अपना संविधान अपनाया और 1950 में इसे लागू किया गया, तब
आरएसएस और बीजेपी का स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं की तरफ़ झुकाव, उनके सिद्धांतों — मसलन साम्राज्यवाद
फूल झरे जोगिन के द्वार हरी-हरी अँजुरी में भर-भर के प्रीत नई रात करे चाँद की
तुम्हें ढोना है समय का भार, थोड़ी सी चाल तेज करो थोड़ी और तेज, और तेज
पाप करना पाप नहीं पाप की बात करना पाप है पाप करने वाले नहीं डरते पाप
तुम ने छोड़ा शहर धूप दुबली हुई पीलिया हो गया है अमलतास को बीच में जो